रविवार, 10 जनवरी 2010

ॐ ॐ परम कृपाणू परमात्मा नि आग्या थी आदरु छू ॐ ॐ नमो श्री सदगोर पात्र ब्रम्मा इन्द्र इमामशाह आध विष्णु निरंजन निष्कलंकी नारायण तमारी आशिसे आ करी रह्यो छू   !
परमात्माए आ सृष्टि नु सृजन कर्यु हैं पण कोय ऐम न कहे हूँ आ जाणु छू . आ सत्पंथ धर्म मा ऐवा ऐवा महापुरुषो थइ गया. आ मानकुवा गाम मा वालजी बाप हता ऐना बहेन अने बनेवी अंगिया मा रहता हता. तो ज्यारे सत्संग करवो होय. त्यारे को छोड़े तइ चगा माथे उभा रही ने हाकल करे आवजो रुड बाई, आवजो पटेल आजे सत्संग करवो हैं. अने उ मानकुवे सन्देश पहुची जाय अने रात ना सत्संग करी ने सवार ना पाछा पहूची जाय. आ वीराणी गाम नि वात छे. ज्यारे गामड़े गाम मा शुद्ध घी नि अखंड ज्योतो लागती हती त्यारे वीराणी गाम मा तत्कालीन ज्योतिधाम (जग्या) मा ताणु लगावी दिधू हतु. पण एक वरस पछि ज्यारे ऐ ज्योतिधाम ने खोल्यु त्यारे पण इ अखंड ज्योतो जलती हती. आवा तो अनेक जाहेर परचा छे . तो हमेशा सत्य छे ऐ छुपातु नथी अने दरेक पदार्थ नि जरूर छे आपणे वात नो ए आनंद थाय के एक यक्ति निष्ठावान होय अने आ जगत नि तमाम आटी-गुट्टी ना तर्क माथि बहार आव्वु होय तो क्यांक वणाक ए लेवो पड़े अने क्यांक सीधा हालवू पड़े. पण ऐना माटे परमात्माए यवस्थाओ मोकलेली होय. पण आपडू आ महाधर्म हे. सत्पंथ धर्म हे. एमा क्याय ग्लानी लियावा नि जरुर नथी कारण के परमात्माऐ इसारा तो बधा मुक्या होय आपणे पूरा न समजाता होय केमके आपडी पोतानी बुद्धि कम होय तो ओछू समजी सकीए पण धर्म मा क्याय ग्लानी नथी केम के इमामशाह महाराजे आपने वेद बताव्यो हे. अने वेद मा वेदांत छूपायलो छे वेद छे इ केरी (आम्बो) छे ,अने वेदान्त छे ऐ केरी नो काढेलो रश छे. एमा पछि छोटलाए बाद थइ गया अने गोटलाऐ बाद थइ गया.
तो इमामशाह महाराजे आपने वेद अने वेदांत बे मिश्र बताव्यु छे . हवे वेद अने वेदांत मिश्र बताव्यु छे ऐना विषे वात करीए, के बीजा महापुरुषो अने कथाकारो आपने सिधु भगवाननि प्राथना करवानू के छे अने इमामशाह महाराजे आ गड़बड़ी केम राखी छे. सवार सांज पूजा सेवा वखत वेडा आनु शु कारण छे ? तो इमामशाह महाराजे ऐटला माटे राखयु छे के जे आपडु अंत करण छे इ कर्म कांड वगर शुद्ध नहीं थाय अने ऐ अंत करण ने शुद्ध करावा माटे कर्म कांड नि जरूर छे. तमे संकराचार्य महाराज नि विवेक चुडामणि नाम नि पुस्तक वान्चजो पछी अंत करण नि सुधि करया बाद ऐम थाय के आटला मा बधू आवी गयु. आगण नि क्रिया करवानी जरूर नथी. ऐम नथी अंत करण नि सुधि माटे शांजे अने सवार परमात्मा नि अवस्य प्राथना करवी ज जोइए. भक्ति सागर मा चरणदासजी महाराजे बताव्यु हे के सुबह और शाम परमात्मा की अवस्य प्राथना करना ही चाहीए. पण इ जो नहीं करीए तो आपडी क्यांक भूल पडसे अने करेंट सीधो उपर नहीं पकड़ाय आपडने वेदांत मा जावू होय तो वेद छे ऐ कर्म कांड नु बिज छे.वेद ना (१)एकलाख मंत्र छे.चार वेद विश(२०) कांड मा वेराएलो छे एमा (८०) ऐशि हजार मंत्रो ओषधियों ना छे दुनिया मा जेटली बीमारी छे ऐना सामे भगवाने वनस्पतियो मुकी छे अने (१५)पंदर हजार मन्त्र कर्म कांड अने चित नि सुधि माटे ना छे अने (५)पांचहजार मन्त्र आत्मज्ञान मेडव्वाना ना छे एटले इमामशाह महाराजे वेद साथे वेदांत मुक्यु छे. पण आपड़े ऐना उपर मंथन नथी करता ऐटले बीजा कथाकारों आपने सीधा परमात्मा थी मडवाणी वात करे छे ऐ आपने सारु लागे छे. ऐटले आपड़े त्या अटकी जइ छिए. आ महाधर्म छे महाधर्म मा महापुरुषो धर्म नो जे बोर्ड चड़ावता होय! पण आखा विश्व नो जे संचालन करे छे जेने आखा विश्व नो घाट घडयो छे ऐ महापुरुष छे अने एमा महानता छुपायली छे. महानता छे छटाय आपणने सादा देखाय छे. इमामशाह महाराज ने एक प्रेमजी नाम ना खोजा ए चार लाकड़ीओ मारी हती छताय इ गरम नोता थया आपडने केटलो संबोधन कर्यु हैं. हे मारा वीरा भाई, हे मारा मुनिवर भाई रखे तमे बेइमांनी थाता हो तमारा कारणे अमने चिंता उपनी, तमारा कारणे अमने राते निंद्रा न आवे मुखे भोजनिया न भावे. हवे आ कलयुग छेली छंद आवी रही छे प्रलय काण नु समय आवी रह्यो छे चोर्यासी (८४) अवतार ना हिसाब देवानो समय आवी रह्यो छे. अने हजी तमे आवडा गलफ़त मा केम सुता छो कर्तायुग गयो त्यारे तमे भुल्या छो, त्रेतायुग गयो त्यारे तमे भुल्या छो, द्वापरयुग गयो त्यारे तमे भुल्या छो अने आज कलयुग आव्यो . जागो जागो वीरा कलयुग आव्यो तोय तमे जागता नथी. सेमा थी जागवु छे ? आपड़े कोण छिए ,क्याथी आव्या छिए अने शा माटे अहिया आव्वानो प्रयोजन थयो छे. आपने इमामशाह महाराजे (१००%) सो टका सही सही सत्य राह बताव्यो छे. पण ज्या आपडु मन खोटाडु थासे . आपड़े बीजा ना कोर्डन मा आवी जासु , बीजो कोंक जो आपने पाढयो जसे तो आपड़े घेटा बकरा मा गणासु. आपड़े घेटा बकरा नथी जो घेटा बकरा थासू अने चोक मा जइने बेशसू तो सियाडू खेची जशे आपड़े सिह हइऐ. पण आपडु केवु थइ गयु छे .के मोढू सिह नु अने चाल घेटा नी. आगड़ थी सत्पंथी छिए अने पाछड़ थी घेटा जेवी चाल थइ गयी छे जेने लिधे आपडा मा कमजोरी आवी गयी छे भले भक्ति जे थाय ते पण (१००%)सो टका मज़बूरी तो राखवी पडसे मज़बूरी विना आपडी जित नथी.
नारायण छे त्या सत्य छे .त्या वेद नी सता छे ऐ सत्य ना राह उपर जे चाले इ सत्पंथी कहवाय. केमके सत्य ऐटले साचु , पंथ ऐटले रास्तो ,पण कियो रास्तो रिग्हवेद (रगुवेद) गयो, यजुरवेद गयो, शाम वेद गयो. भगवान ना मच्छा, कुर्म, वराह ,नरशिह ,वामन ,परसुराम ,राम ,कृष्ण अने बुध अवतार आ बधा गया पण जे मच्छा हता ऐज कुर्म थया, कुर्म हता ऐज वराह थया, जे राम हता ऐज कृष्ण थया अने कृष्ण ऐज बुध थया . आपड़े एक उदाहरन लइऐ प्रहलादे भगवान नरशीह नी उपासना करी पण आगण ना (३)त्रण अवतार नी नोती करी. भगवान नरशीह नी उपासना करी तो भगवान थाम्भला मा थी प्रगट थइ ने ऐनो उधार कर्यो. पछि हरिशचंद्र राजा, तो हरिशचंद्र राजा ए कोनी उपासना करी राम नी के नरशिह नी ? रामनी करी केमके सत्ता राम नी चालती हती तो रामे आवी ने तलवार पकड़ी नरशिह भगवान न आव्या. पछि पांच पांडव आव्या तो पांडवोए कृष्ण नी उपासना करी के राम नी करी ? कृष्ण नी करी राम नी न करी केम के सत्ता कृष्ण नी चालती हती ऐने खबर हती के नरशिह अने राम आगड़ थइ गया तो जेनो वारोहोय जेनी सत्ता होय ऐनाथी ज आपडने परिणाम मडसे. केम के परमात्मा एक ज छे डुप्लीकेट नथी. डुप्लीकेट होय तो आपड़े छेतराइए आपडा वेद सु कहेरा भगवान ना अवतार दस(१०) पण भगवान एक. नारायणे रूप धर्या दस पण परमात्मा एक ज छे. केम के ज्यारे ज्यारे धर्म नी हानी थइ. ज्यारे ज्यारे मनुष्य धर्म थी चलित थायरा अधर्म नी वृद्धि थाय, सत्य उपर वजन आवे, असत्य दबावे, अधर्म बारे आवे त्यारे भगवान ने प्रगट थवु पड़े छे श्री मदभागवत ना बारमा अध्याय मा बताव्यु छे भगवान कल्कि क्यारे प्रगट थासे. पुरुषो एनी मर्यादा छोड़से दिकरियो स्त्रियो ऐनी मर्यादा छोड़से चरित्रहीन बनसे त्यारे भगवान कल्कि प्रगट थासे अने सजन माणसो आ देश मा नहीं रही सके आ देश ने कोय चरित्र नी दृष्टीए नहीं जूए. एटलू चारीत्रहींन देश बनसे. महाभारत मा जयमुनि ए बताव्यु हे ज्ञानपर्व मा के पुरुषो उभे उभे पेशाप करसे, जोड़ा पहरी ने उभे उभे जमसे स्त्रियो रजस्वणा नु धर्म नहीं पाड़े त्यारे आ युग नी अन्दर कलयुग नो प्रसार वधसे अने धर्म नो नास थासे. तो अत्यारे आपड़े इ दिसा तरफ जइ रह्या छिए आवु आज थी पांच हज्जार वर्स पूर्व ऋषि मुनियो कही गया हे के कलयुग मा आवु थासे. तो ते दिसा कलयुग आपने वेग्वंतो करतो जय छे अने आबाजू धर्म सस्तू मुक्यो छे. सुविधा मा वधारो कर्यो छे. अने नियम पाडवा मा आपड़े काचा पड़ीछिए जेनी कारण आपडु मन कमजोर थाय छे अने धर्म ना मार्ग मा थी चलित थाय छे. धर्म मोणू नथी मन मोणू थइ गयू छे. आ ज महाधर्म नी पूजा मा पेहला कोणे कोणे ए ज्योतो जागती हती. तेदी नेम धारी संतो भेगा थता. आजे नीम कय्या छे पेहला आपडा वडीलो सात वखत पगे लागता त्यारे पूजा पूरी थती. आजे बे वार लागवू होय तो आपड़े काचा पडिरा. हाथ जोड़ी ने जराक माथू नमावी, कोक तो माथू ऐ न नमावे एटले आपड़े ऐटला कमजोर पडया. केम के आपड़े सुविधाओ करवा गया. युवान वर्ग ऐम बोल्यो के पूजा वेहली करो तो अमे आवसु. तो ऐम कर्यु. पछि के अमने बेसवानु केसों तो पूजा मा आवसु. नहीं तो अमे नहीं आवीए तो ऐम कर्यु. पछि के अमने चादर ने टोपी नहीं खपे तो ऐम कर्यु. तो अत्यारे केटला युवा आवेरा. गामो गाम नी फरियाद छे के आवडु मोटू मंदिर बनाव्यु पण छोकराओ मंदिर मा आवता नथी. बारे ओटा उपर बेठा होय. कारण सु थयु ? ऐने कह्यू तेम कर्ता आव्या. नहीं नीम मा बहू बांध छोड़ न कराय. नीम मा बांध छोड़ करसु तो पाछड नी पेढ़ी खली-वली थइ जासे.
जेम व्यव्हार नो कायदों छे समाज ना नीम छे, सरकार ना नीम छे ऐ बधा पाडवा पड़ेरा. ऐम आ धर्म ना नीम छे आ धर्म ना नीम मा जो आपड़े ढीला पडसु तो परमात्मा थी आपड़े दूर थइ जासु. ऐटले धर्म ना नीम मा तो अडग रहवू जोइए. आपड़े समजी छिए के आज नो तांत्रिक युग छे अने तांत्रिक युग मा प्रजा भणेली वधारे छे. पण जो बहू बांध-छोड़ करवा जासु तो धर्म रहसे नहीं. केम के आ कायदों आपडा हाथ मा नथी. नियम आपडा बनावेला नथी. समाज ना बनावेला नियमो समाज सुधारे, राज ना बनावेला नियम राज सुधारे. आ पुस्तिकाओ भगवाने जे लेख लख्यो हसे ऐ आपडा कने नथी. पण मारा हाथ मा आव्यो तो में लखयो तमारा हाथ मा आव्यो तो तमे लखयो ऐम प्रतवार फेरफार आजे थतो आवेरो अने पेहलाऐ पण थयो हसे आपड़े मानीए छिए. जे हसे ते आगड़ हाथ जोड़ीए. पण परमात्मा ना बनावेला नियम छे. ऐमा बांध छोड़ करवानो अधिकार आपड़ो नथी. केम के आपड़े ऐना कने जउ छे तो ऐटला माटे धर्म मा वधारे बाँध छोड़ न कराय धर्म छे वेद ना आधारे अने वेद ना आधारे वेदांत बताव्यो छे वेदांत ऐटले वेद नो अंत वेद ना उपर नो भाग ज्या एकलो रस छे. ज्या माणश परमात्मा साथे तद रूप बनी जायरो, तन्मयबनी जायरो, ऐनामय बनी जायरो ऐने वेदांत कह्यु छे.!

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